माँ के होठों की मैं लाली
हूँ मैं अपने पिता की आंखों का नूर ,
नूर सजाए फिरते हैं
एक दिन कर देंगे
अपने से दूर ....
फिर मैं दूसरों के चरणों की
पादुका बन जाऊँगी ,
जिसे न भरत उठाएंगे
और न मैं सीताराम कहलाऊंगी।।।।
#meri maa
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