Monday, 30 November 2020

माँ

माँ के होठों की मैं लाली 

हूँ मैं अपने पिता की आंखों का नूर ,

नूर सजाए फिरते हैं 

एक दिन कर देंगे 

अपने से दूर ....

फिर मैं दूसरों के चरणों की 

पादुका बन जाऊँगी ,

जिसे न भरत उठाएंगे 

और न मैं सीताराम कहलाऊंगी।।।।


#meri maa 

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